अयोध्या में अध्यात्म और विज्ञान का अनूठा संगम

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बीबीएन, नेटवर्क।  ऐतिहासिक राम मंदिर अयोध्या में आज विज्ञान और अध्यात्म का अनूठा संगम देखकर दुनिया अचंभे में पड़ गई। दूर दराज से आए लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में रामनवमी पर रामलला का सूर्य अभिषेक हुआ। 
दोपहर 12 बजकर 01  मिनट से शुरू हुआ यह सूर्य अभिषेक करीब पांच मिनट तक होता रहा। सूर्य तिलक के लिए आईआईटी रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक खास ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम तैयार किया है। इसमें मंदिर के सबसे ऊपरी तल (तीसरे तल) पर लगे दर्पण पर ठीक दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें पडे़ंगी। दर्पण से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणे एक पीतल के पाइप में जाएंगी। पाइप के छोर पर एक दूसरा दर्पण लगा है। इस दर्पण से सूर्य किरणें एक बार फिर से परावर्तित होंगी और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी। 
तीन लेंसों से  गुजरीं किरणें

दूसरी बार परावर्तित होने के बाद सूर्य किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर चलेंगी। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस लगाए गए, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ गई, इस बीच लंबवत पाइप गुजरती है। लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर एक और दर्पण लगाया ।  बढ़ी हुई तीव्रता के साथ किरणें इस दर्पण पर पढ़ी और पुन: 90 डिग्री पर मुड़ गई। 90 डिग्री पर मुड़ी ये किरणें सीधे राम लला के मस्तक पर एकत्र हो गई। इस तरह से राम लला का सूर्य तिलक हुआ।
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