पशुपतिनाथ के आध्यात्मिक रहस्यों पर प्रकाश डाला

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बीबीएन, नेटवर्क। श्री रजनीश ध्यान मंदिर, सोनीपत के संस्थापक स्वामी शैलेंद्र सरस्वती और मां अमृत प्रिया  काठमांडू पधारे।  साधक-साधिकाओं से निजी मुलाकात और सत्संग के साथ-साथ, उन्होंने एवरेस्ट टीवी, हिमालय टीवी, कांतिपुर टीवी, तमसो मा ज्योतिर्गमय प्रोग्राम, और ए.पी.वन टीवी सहित छह प्रमुख टेलीविजन स्टूडियो में इंटरव्यू दिए।
 16 नवंबर को अग्रवाल भवन में एक विराट सभा का आयोजन हुआ, जिसमें भगवान पशुपतिनाथ के आध्यात्मिक रहस्यों पर प्रकाश डाला गया। सभागार श्रोताओं से खचाखच भरा हुआ था, लेकिन दो घंटे तक पूर्ण शांति और ध्यान का वातावरण बना रहा। लगभग 500 श्रोतागण इस अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव के साक्षी बने। मां अमृत प्रिया  ने अपने प्रवचन में बताया कि पशुपतिनाथ का अर्थ है "समस्त प्राणियों का स्वामी" और "जीवन मात्र का मालिक," अर्थात परमात्मा। उन्होंने मधुर दोहे गाकर भगवान शिव के जीवन-दर्शन को सरल और गहन रूप से प्रस्तुत किया।
स्वामी शैलेंद्र सरस्वती  ने प्रवचन के पश्चात सामूहिक ध्यान का अभ्यास कराया। उन्होंने ओशो द्वारा भगवान शिव के नाम पर निर्मित तीन ध्यान प्रयोगों—शिवनेत्र ध्यान, गौरीशंकर ध्यान, और नटराज ध्यान—का उल्लेख किया। इस प्रक्रिया में साधकों ने गायन, वादन, और नर्तन के बाद शांत होकर मंत्र जाप और अंत में महामंत्र 'ओंकार' का श्रवण सीखा। भगवान शिव के डमरू को ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि के प्रतीक के रूप में समझाया गया। इस आयोजन में ओशो आत्म तीर्थ आश्रम के 92 वर्षीय संस्थापक स्वामी आत्म तीर्थ  और उनकी धर्मपत्नी मां करुणा  ने मंच पर आकर स्वामी शैलेंद्र सरस्वती और मां अमृत प्रिया  का आत्मीय स्वागत किया। ओशोधारा मैत्री संघ के उपाध्यक्ष स्वामी कृष्ण आचार्य , स्वामी झाएन्द्र और ओशोधारा संघ के अध्यक्ष स्वामी अखंड  भी सत्संग में उपस्थित रहे।
आत्म तीर्थ ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित ओशो की प्रसिद्ध पुस्तक जिन खोजा तिन पाइयां की 100 प्रतियां स्वामी शैलेंद्र सरस्वती  और मां अमृत प्रिया  के करकमलों द्वारा श्रोताओं को उपहार स्वरूप भेंट की गईं। इसके साथ ही, लगभग 60 नए मित्रों ने ओशो नव सन्यास में दीक्षा ग्रहण की।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य आयोजक स्वामी रमेश प्रधान  और उनकी धर्मपत्नी ने सभी का आभार प्रकट किया। इस विराट सत्संग का प्रसारण कई टीवी चैनलों और यूट्यूब पर लाइव किया गया, जिससे काठमांडू के मीडिया पर ओशो ही ओशो छाए रहे। 17 नवंबर को ओशो फ्रेगरेंस की टीम पोखरा के लिए प्रस्थान कर गई, जहां अगले दिन से पांच दिवसीय ओशो ध्यान शिविर का आयोजन होगा। 
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