
मिसाइलों पर वैश्विक रुचि बढ़ी, इंडो-पेसिफिक और अरब देशों में खरीद की तैयारी
बीबीएन, नेटवर्क। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय हथियारों की डिमांड उग्र गति से बढ़ रही है। विशेषकर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की खरीददारी को लेकर कई देशों ने रुचि दिखाई है। दक्षिण-पूर्व एशिया से लेकर अरब देशों तक कई सरकारें अपनी सुरक्षा रणनीति को मजबूत करने के लिए इस मिसाइल को खरीदने की योजना बना रही हैं।
इंडोनेशिया और मलेशिया भी कतार में
इंडोनेशिया करीब 450 मिलियन डॉलर के सौदे को अंतिम रूप देने के करीब है। वहीं, मलेशिया ने अपने सुखोई Su-30MKM लड़ाकू विमानों और युद्धपोतों के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों को शामिल करने की योजना बनाई है। इस कदम को क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
अरब देशों में भी बढ़ी दिलचस्पी
सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और ओमान जैसे देश भी इस मिसाइल प्रणाली में रुचि दिखा रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इंडो-पेसिफिक क्षेत्र के कई देश दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने पर विचार कर रहे हैं। भारत की रक्षा निर्यात नीति में यह बढ़ती मांग एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह न केवल भारत की रक्षा तकनीक की शक्ति को दर्शाता है, बल्कि इसे एक विश्वसनीय हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित भी करता है।
फिलीपींस और वियतनाम की अगुवाई
फिलीपींस ने जनवरी 2022 में ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए भारत के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया था। इस समझौते के तहत भारत ने हाल ही में अप्रैल 2025 में दूसरी खेप भेज दी है। वियतनाम भी अपनी सेना और नौसेना को सशक्त बनाने के लिए करीब 700 मिलियन डॉलर की डील करने की तैयारी कर रहा है।