अब और नहीं रुकेगा ‘तेजस’, निजी हाथों से HAL को मिली पहली फ्यूज़लेज

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बीबीएन, नेटवर्क।  भारत अब किसी पर निर्भर नहीं रहेगा। लड़ाकू विमान निर्माण में अब निजी कंपनियां भी कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। हैदराबाद की स्वदेशी कंपनी वीईएम टेक्नोलॉजीज ने शुक्रवार को देश को गौरव का क्षण दिया, जब उसने तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान के लिए बनी पहली सेंटर फ्यूज़लेज असेंबली HAL को सौंप दी।
यह पहला मौका है जब तेजस जैसे रणनीतिक रक्षा प्लेटफॉर्म के लिए इतनी अहम तकनीकी सब-असेंबली का निर्माण निजी क्षेत्र ने किया है। रक्षा मंत्रालय ने इसे देश की आत्मनिर्भरता के रास्ते पर ‘एक बड़ी छलांग’ बताया है।
वायुसेना को तेजस की सख्त जरूरत
तेजस मार्क-1ए के 83 लड़ाकू विमानों का ऑर्डर पहले ही HAL को मिल चुका है, लेकिन अब तक वायुसेना को सिर्फ 40 विमान ही सौंपे जा सके हैं। निर्माण की धीमी रफ्तार को लेकर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में अपनी नाराजगी जताई थी।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, HAL अकेले तेजस की मांग को पूरा करने में कठिनाई महसूस कर रहा था। अब निजी कंपनियों की भागीदारी से उम्मीद की जा रही है कि निर्माण कार्य में तेजी आएगी और वायुसेना की ज़रूरतें पूरी होंगी।
इंजन बन रहा रोड़ा
तेजस मार्क-1ए में अमेरिकी कंपनी GE का F404 इंजन लगाया जा रहा है, जबकि आगामी संस्करण मार्क-2 में GE का F414 इंजन लगेगा। लेकिन GE की ओर से इंजन आपूर्ति में देरी के कारण पूरा उत्पादन प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी खुद की इंजन टेक्नोलॉजी पर ज़ोर देना चाहिए ताकि भविष्य में विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम हो सके।
निजी कंपनियों की भूमिका होगी निर्णायक
HAL के चेयरमैन डी के सुनील ने कहा, “वीईएम टेक्नोलॉजीज द्वारा सौंपा गया यह पहला फ्यूज़लेज तेजस निर्माण को नई दिशा देगा। अब हमें भरोसा है कि निजी क्षेत्र के साथ मिलकर हम तेजस परियोजना को समय पर पूरा कर सकेंगे।”
‘तेजस’ सिर्फ विमान नहीं, भारत की पहचान है
देश के पहले पूरी तरह स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस को सिर्फ एक सैन्य परियोजना नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक माना जा रहा है। अब जब देश की निजी कंपनियां भी इसमें हिस्सा ले रही हैं, तो यह केवल रक्षा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय बन गया है।
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