बीकानेर में कर्मवान फाउंडेशन की पहल, विधिवत पूजन के साथ लाइब्रेरी की शुरुआत

बीबीएन, बीकानेर, 7 जून। शिक्षा को व्यवसायिक लाभ की चौखट से बाहर निकालते हुए बीकानेर के युवाओं ने समाज में एक नई उम्मीद जगाई है। शनिवार को शहर में सौ रुपये के नाममात्र मासिक शुल्क में संचालित होने वाली के.वी. लाइब्रेरी का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजन किया गया। यह लाइब्रेरी अगले सप्ताह से विद्यार्थियों के लिए औपचारिक रूप से खोल दी जाएगी।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वैदिक पंडित विजयशंकर व्यास ने पारंपरिक विधि-विधान से पूजन सम्पन्न करवाया। समारोह में शहर के अनेक शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
160 सीटों वाली आधुनिक अध्ययनशाला
कर्मवान फाउंडेशन की इस पहल के तहत 160 विद्यार्थियों के बैठने की क्षमता वाली एक सार्वजनिक अध्ययनशाला विकसित की जा रही है, जिसमें स्वच्छ, शांत और तकनीकी सुविधाओं से युक्त अध्ययन का वातावरण उपलब्ध रहेगा। यहां आधुनिक टेबल-चेयर, पर्याप्त रोशनी, पंखे और एसी की सुविधा होगी।
कोई लाभ नहीं – सिर्फ समर्पण
फाउंडेशन के अध्यक्ष वेद व्यास ने बताया कि संस्था का उद्देश्य शिक्षा को केवल सुविधा नहीं, बल्कि समाज के अंतिम व्यक्ति का अधिकार मानकर उसे उपलब्ध कराना है। "ज्ञान को लाभ का माध्यम नहीं, बदलाव का ज़रिया बनाना चाहिए," उन्होंने कहा। कोषाध्यक्ष संतोष पुरोहित ने बताया कि लाइब्रेरी के नियमित संचालन के लिए छात्रों से महज 100 रुपये का मासिक अनुशासन शुल्क लिया जाएगा। इससे व्यवस्था अनुशासित रहेगी और छात्रों में नियमित अध्ययन की आदत विकसित होगी।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी होगी संभव
फाउंडेशन से जुड़े गणेश श्रीमाली ने जानकारी दी कि भविष्य में इस लाइब्रेरी में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष कक्षाओं का संचालन भी किया जाएगा। इससे छात्रों को स्थानीय स्तर पर मार्गदर्शन और शिक्षण सहायता उपलब्ध हो सकेगी।
समाज के साथियों की गरिमामयी मौजूदगी
इस अवसर पर विकास तापड़िया, दिनेश पारीक, जितेन्द्र श्रीमाली, जय किशन पुरोहित, भैरू तंवर, गिरधर जोशी, बृजमोहन और अनिल पुरोहित, सुरेन्द्र जोशी, विपिन पुरोहित, गोविंद शर्मा तथा भव्यदत्त भाटी जैसे कई गणमान्य नागरिक मौजूद रहे और इस पहल की सराहना की। शिक्षा का यह दीपक बीकानेर की नई पीढ़ी के लिए आशा की एक रोशनी है, जो न केवल पढ़ने के अवसर उपलब्ध कराएगा, बल्कि समाज में ज्ञान आधारित समता और आत्मनिर्भरता की नींव भी रखेगा।