सिन्धु तट से स्मृति और अस्मिता का संवाद

सिन्धु तट से स्मृति और अस्मिता का संवाद

Slide background

WELCOME

YOUR SHOP NAME

SHOP TITLE

Slide background
Slide background
Slide background

WELCOME

YOUR SHOP NAME

SHOP TITLE

Share with
Views : 41
बीबीएन, नेटवर्क , 7 जून । सिन्धु नदी के तट पर आयोजित सिन्धु दर्शन महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं रहा, बल्कि यह आयोजन उस स्मृति और अस्मिता की पुनर्प्रस्तुति का मंच बन गया, जिसकी जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप की सभ्यता में गहराई तक समाई हैं।
महोत्सव में प्रज्ञा प्रवाह के उत्तर क्षेत्र संयोजक चंद्रकांत जी ने कहा कि सिन्धु केवल जलधारा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का एक जीवित प्रतीक है। उन्होंने कहा, “हम सभी सिन्धु के बिन्दु हैं, इसीलिए हम हिन्दू हैं। यह आयोजन हमारी ऐतिहासिक चेतना और सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता का स्मरण है।”
इस वक्तव्य के जरिए एक ओर जहाँ धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक गौरव का पुनर्मूल्यांकन किया गया, वहीं दूसरी ओर यह विमर्श भी सामने आया कि स्वत्व की पुनर्रचना केवल प्रतीकों के स्मरण से नहीं, बल्कि उनके संरक्षण और सार्वजनिक संवाद से ही संभव है। महोत्सव की शुरुआत वैदिक हवन और पवित्र सिन्धु स्नान से हुई। भारतीय विद्या निकेतन की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत और मध्यप्रदेश सिन्धी साहित्य अकादमी व स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियाँ, इस आयोजन को लोकसंस्कृति और परंपरा से जोड़ने में सहायक रहीं।
लद्दाख पुलिस बैंड द्वारा प्रस्तुत देशभक्ति गीतों ने जहाँ आयोजन को ऊर्जस्विता दी, वहीं दो बालकों के उपनयन संस्कार ने धार्मिक परंपरा को पुनः सामाजिक संदर्भ में सामने रखा। विशिष्ट अतिथि डॉ. पदमा गुरमीत ने पर्यावरणीय सन्दर्भ में वक्तव्य देते हुए कहा, “नदी केवल भूगोल नहीं, भविष्य की जिम्मेदारी है।” उनका यह वक्तव्य आयोजन को एक समकालीन सामाजिक संदर्भ भी दे गया।
भारतीय सिन्धू सभा के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष राजेश वाधवानी ने कहा कि “सिन्धु तट आत्मीयता का स्थल है — यहाँ श्रद्धा और स्मृति दोनों का समागम होता है।” कार्यक्रम में लद्दाख कल्याण संघ के संगठन मंत्री बलविंदर सिंह, भारतीय सिन्धू सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घनश्यामदास देवनानी सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। संचालन गौरव संतवानी ने किया और आभार ज्ञापन मुकेश लखवानी द्वारा किया गया।


---
error: कॉपी नहीं होगा भाई खबर लिखना सिख ले