DIGIPIN नामक नई डिजिटल एड्रेसिंग प्रणाली शुरू

बीबीएन, नेटवर्क, 8 जून। डाक विभाग ने डिजिटल इंडिया की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए DIGIPIN नामक नई डिजिटल एड्रेसिंग प्रणाली शुरू की है। अब आपका पता केवल गली-मोहल्ले तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि 4 मीटर X 4 मीटर की सटीकता से चिन्हित होगा। यह व्यवस्था खास तौर पर दूरदराज के क्षेत्रों में डिलीवरी और आपातकालीन सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लाई गई है।
क्या है DIGIPIN?
यह एक 10-अंकीय अल्फ़ान्यूमेरिक कोड है, जो आपके घर, कार्यालय या किसी भी संपत्ति के अक्षांश और देशांतर के आधार पर तैयार होता है। इस प्रणाली को IIT हैदराबाद और ISRO के NRSC की मदद से विकसित किया गया है। DIGIPIN भारत को छोटे-छोटे ग्रिड्स में बांटता है और हर स्थान को एक यूनिक कोड देता है।
कहां मिलेगा आपका DIGIPIN?
लोग किसी निर्धारित सरकारी वेबसाइट पर जाकर अपने स्थान को चिह्नित कर सकते हैं और अपना डिजीपिन जनरेट कर सकते हैं। यह प्रक्रिया आसान और निशुल्क है।
क्यों जरूरी है यह नया पता?
डाक विभाग का मानना है कि पारंपरिक पते अक्सर अस्पष्ट या असंगठित होते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में। DIGIPIN इस कमी को दूर करता है और एम्बुलेंस, अग्निशमन और डिलीवरी सेवाओं के लिए रास्ता आसान बनाता है।
ऑनलाइन शॉपिंग का अनुभव और बेहतर
अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म अब ग्राहकों से DIGIPIN साझा करने को कह सकते हैं, जिससे तेज़ और त्रुटिरहित डिलीवरी सुनिश्चित की जा सके।
क्या बदल जाएगा पुराना पता?
नहीं। DIGIPIN मौजूदा डाक पते का पूरक है, उसका स्थानापन्न नहीं। आपका पारंपरिक पता कायम रहेगा, लेकिन डिजीपिन से जुड़कर वह और अधिक सटीक हो जाएगा।
ऑफलाइन भी काम करेगा सिस्टम
डाक विभाग ने DIGIPIN के लॉजिक को ओपन-सोर्स रखा है, यानी कोई भी इसे ऑफलाइन प्राप्त कर सकता है और डिकोड कर सकता है।
पिनकोड और DIGIPIN में फर्क क्या है?
जहां PINCODE किसी बड़े इलाके की पहचान करता है, वहीं DIGIPIN हर 4x4 मीटर स्थान को अलग कोड देता है। यानी, अब “घर नंबर 221, गली नंबर 5” जैसे पते नहीं, एक अद्वितीय कोड आपकी पहचान बनेगा। भारत के डिजिटल भविष्य की यह नई ईंट, न सिर्फ पते की पहचान बदलेगी, बल्कि उससे जुड़ी कई सेवाओं में क्रांति ला सकती है।