सरहदी ग्रामीणों को दी जा रही राइफल चलाने की ट्रेनिंग

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बीबीएन, नेटवर्क, 11 जून।  पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की साजिशों को नाकाम करने के लिए अब  सीमावर्ती गांवों में ‘विलेज डिफेंस ग्रुप’ (VDG) के सदस्यों को हाई-एंड हथियारों की ट्रेनिंग दी जा रही है। बीएसएफ, सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त प्रयास से ये समूह अब 7.62 एमएम एसएलआर जैसे आधुनिक हथियारों का संचालन सीख रहे हैं। इसे राजस्थान के सरहदी जिलों में भी दूसरे चरण में शुरू करने की प्लानिंग की जा रही है। 
सांबा के रामगढ़ सेक्टर में सीमा सुरक्षा बल द्वारा मंगलवार को प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया, जिसमें वी़डी़जी सदस्यों को गोलियों की ऑटोमैटिक लोडिंग, फायरिंग तकनीक और सामरिक प्रोटोकॉल की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण का उद्देश्य सीमाओं पर मजबूत तीसरा सुरक्षा घेरा खड़ा करना है, जो घुसपैठ की हर कोशिश को नाकाम करने में सक्षम हो। सेना का मानना है कि जब तक सीमावर्ती गांवों के लोग तैयार नहीं होंगे, तब तक आतंकी साजिशों को जड़ से खत्म करना मुश्किल है।
पूर्व सैनिकों और अनुभवी ग्रामीणों को प्राथमिकता
विलेज डिफेंस ग्रुप में शामिल अधिकांश सदस्य पूर्व सैनिक, सुरक्षा बलों से सेवानिवृत्त कर्मी और सीमांत अनुभव वाले ग्रामीण हैं, जिन्हें हथियारों के संचालन में पर्याप्त अनुभव है। यही वजह है कि उन्हें अब आधुनिक हथियार सौंपे जा रहे हैं। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान विशेष फोकस इस बात पर रहा कि दुश्मन पर सटीक निशाना कैसे लगाया जाए और समूह में समन्वय किस तरह से कायम रखा जाए।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी सतर्कता
बीते वर्ष ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सांबा में भारी गोलीबारी के बीच आतंकियों की घुसपैठ की कोशिशों के बाद प्रशासन ने सुरक्षा तैयारियों को और तेज कर दिया है। अब न केवल सेना और सुरक्षा बल, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी हर स्तर पर तैयार किया जा रहा है। सुरक्षा बलों का कहना है कि अब सीमांत गांवों की सुरक्षा केवल जवानों पर नहीं, बल्कि प्रशिक्षित ग्रामीणों पर भी निर्भर करेगी। यही कारण है कि वी़डी़जी सदस्यों को अब पुरानी थ्री नॉट थ्री राइफल के बजाय एसएलआर दी जा रही है, जिससे वे किसी भी आपात स्थिति में तुरंत जवाबी कार्रवाई कर सकें।
जम्मू में तैयार हो रहा है जागरूक नागरिक सुरक्षा तंत्र
सेना की टाइगर डिवीजन ने हाल ही में जम्मू शहर के सुंजवां इलाके में 100 से अधिक वी़डी़जी सदस्यों को हथियारों की बारीक ट्रेनिंग दी। जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और बीएसएफ अब संयुक्त रूप से सीमांत जिलों को सुरक्षा के लिहाज से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। राज्य के करीब 200 किलोमीटर लंबे अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में अब हर गांव को सुरक्षा से लैस करने की रणनीति पर अमल हो रहा है। अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान की तरफ से लगातार खूनखराबा फैलाने की कोशिशों को देखते हुए अब गांवों की सामूहिक ताकत से ही सीमा की सुरक्षा मजबूत की जाएगी।
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