शिवनेत्र जागरण शिविर में बच्चों ने सीखी ध्यान साधना, जगीं अतीन्द्रिय क्षमताएं

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बीबीएन, नेटवर्क, 9 जून।  श्री रजनीश ध्यान मंदिर में आयोजित छह दिवसीय शिवनेत्र जागरण शिविर का  सफल समापन हुआ। 3 से 8 जून तक चले इस विशेष शिविर में बच्चों ने ध्यान, योग और मिड ब्रेन एक्टिवेशन जैसी तकनीकों के जरिए अपने भीतर छिपी क्षमताओं को पहचानने का अभ्यास किया। आयोजकों के मुताबिक शिविर में शामिल लगभग दो-तिहाई बच्चों में अतीन्द्रिय क्षमताओं का विकास देखा गया।
ध्यान से साधना, साधना से जागरण
शिविर का संचालन आचार्य स्वामी देवेंद्र, मां जागृति, मां दीपा और मां दिव्यानी ने किया। बच्चों ने ध्यान साधना के साथ-साथ खेलों और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस दौरान उन्हें मिड ब्रेन एक्टिवेशन (Midbrain Activation) की तकनीक से परिचित कराया गया, जिसे आधुनिक विज्ञान और प्राचीन योग का समन्वय माना जा रहा है।
क्या है मिड ब्रेन एक्टिवेशन?
मिड ब्रेन यानी मध्य मस्तिष्क, दिमाग के बाएं और दाएं हिस्सों के बीच संतुलन स्थापित करने में सहायक होता है। योग में इसे 'आज्ञा चक्र' के रूप में जाना जाता है। ध्यान और विशेष ध्वनि तरंगों की सहायता से इस चक्र को सक्रिय करने का प्रयास किया जाता है। इस तकनीक के माध्यम से बच्चों में आंखें बंद करके रंग पहचानना, वस्तु को छूकर शब्द पढ़ना जैसी क्षमताएं विकसित होती हैं।
प्रदर्शनों ने खींचा ध्यान
शिविर के अंतिम दिन बच्चों ने आंखों पर पट्टी बांधकर ताश के पत्ते पहचानने, रंगों को सूंघकर बताने और स्पर्श से चित्र पहचानने जैसे प्रदर्शन कर दर्शकों को चकित कर दिया। आयोजकों ने बताया कि ये सभी क्षमताएं ध्यान और अभ्यास के माध्यम से जाग्रत की गई हैं।
बड़ों के लिए चुनौतियां
शोधों के अनुसार 8 से 15 वर्ष की उम्र तक के बच्चों में मिड ब्रेन एक्टिवेशन की सफलता दर 90% तक देखी गई है, लेकिन वयस्कों में यह प्रक्रिया कठिन होती है। इसके पीछे कारण है पीनियल ग्रंथि की उम्र के साथ कम होती सक्रियता।
शिक्षा में नई संभावनाएं
स्वामी शैलेन्द्र का मानना है कि मिड ब्रेन एक्टिवेशन बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए एक नई क्रांतिकारी दिशा बन सकता है। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस पर और शोध की आवश्यकता जताई जा रही है।
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